Thursday, October 27, 2016

सफल और संतुष्ट जीवन के तीन तप

सफल और संतुष्ट जीवन के तीन तप

Hindi Article Shree Krishna Updesh

मित्रों,आज के इस भौतिकवादी युग में धन, सुख, समृद्धि, यश, प्रतिष्ठा,अच्छा परिवार और ओहदा होने के बावजूद भी न जाने क्यों अधिकांश लोगों के चेहरे प्रफुल्लित एवं प्रसन्न नहीं दिखाई देते |एक खिंचाव और तनाव सा बना रहता है |थोड़ी सी भी प्रतिकूलता असहनीय हो जाती है और मन अत्यधिक चिंतित और तन शिथिल होने लगता है |एक असमंजस के शिकार होते देर नहीं लगती |न जाने क्यों हम भूल जाते हैं कि ‘‘ मन के जीते जीत है और मन के हारे हार |’’दरअसल,जीवन का हर क्षण एक दैवी आनंद ,स्फूर्ति और प्रेरणा से भरपूर हुआ करता है, शायद हम उसे ही जीना चाहते हैं |सच मानिए, हम उस आनंदमय जीवन के ही अधिकारी हैं|बस,अपने कर्तव्यकर्म के पथ पर चलते हुए हमें तपस्वी बनना होगा ,यही आदेश है उन करुणासागर,महान् पथप्रदर्शक एवं योगेश्वर भगवान् श्री कृष्ण का जिन्होंने मोहग्रस्त अर्जुन को कर्तव्याभिमुख करने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश देते हुए कहा था कि सफल और संतुष्ट जीवन जीने के लिए मानव को तीन तप करते रहना होगा |वे तीन तप हैं-शारीरिक, वाङ्मय अर्थात् वाणी का तथा मानसिक तप |
वस्तुतः, तपाचरण का अर्थ मात्र शारीरिक उत्पीड़न नहीं होता अपितु इसका प्रयोजन तो अपनी शक्तियों का संचय करके और फिर उन्हें रचनात्मक कार्यों में प्रयोग करके, आत्मविकास एवं आत्मसाक्षात्कार करना होता है |अपने नैतिक-विकास के लिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने आराध्य आदर्श अथवा इष्ट या लक्ष्य के प्रति श्रद्धा,भक्ति, आदर एवं सम्मान का भाव रखें तथा जिन सत्पुरुषों ने इस आदर्श को प्रस्तुत किया उन विद्वानों, अत्मानुभवियों, उपदेष्टा गुरुओं तथा इस आदर्श के अनुमोदक ज्ञानीजनों के प्रति भी सदैव ह्रदय से कृतज्ञ रहें |दूसरे, हमें चाहिए कि शारीरिक स्वच्छता के साथ-साथ हम अपने व्यव्हार को भी सरल बनाने का यथासंभव प्रयास करते रहें क्योंकि हमारा कुटिल व्यवहार हमारे व्यक्तित्व को विभाजित करके हमारे मानसिक-संतुलन और शारीरिक सामर्थ्य के लिए खतरा बन सकता है |तीसरे, इन्द्रिय-नियंत्रण और अहिंसा में निष्ठा आदि को शारीरिक-तप की संज्ञा दी गयी है |
दरअसल, हमारे पास स्वयं को अभिव्यक्त करने का जो सबसे सशक्त माध्यम है, वह है हमारी एक कर्मेंद्रिय, हमारी ‘‘वाणी’’ जो हमारी बौद्धिक-पात्रता, मानसिक-शिष्टता तथा शारीरिक-सयंम की सूचक हुआ करती है |यही कारण है कि वाणी के सतत क्रियाशील रहने से हमारी शक्ति का सबसे अधिक अपव्यय होता है और इसके संयम से ही एक बड़ी मात्रा में अपनी शक्ति का संचय भी किया जा सकता है |लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि हम मौन रहकर आत्मनाश या फिर पर-उत्तेजन का कारण बनते रहें |वाक्शक्ति के सदुपयोग द्वारा हम अपने व्यक्तित्व को सुगठित कर सकते हैं इसलिए ज़रुरी है कि हम बोलते समय निर्भयतापूर्वक सावधान रहें ताकि हम जो  बोलें वह सत्य ,प्रिय और हितकारी हो |सत्य वाणी हमारी शक्ति को व्यर्थ नष्ट होने से बचाती है |शब्दों की कटुता का मोल हमें कई बार अपने जीवन में या तो असफलता अथवा अपने मित्र-बंधुओं को खो कर चुकाना पड़ता है |निरर्थक-भाषण से तो हमें केवल थकान ही हुआ करती है |इस तरह सत्य, प्रिय और हितकारी वाणी द्वारा सुरक्षित की गयी अपनी शक्ति का सदुपयोग हम ज्ञानवर्धक-साहित्य का अध्ययन करने में, उसके अर्थ को ग्रहण करने में और यथासंभव अपने जीवन को बेहतर बनाने में कर सकते हैं |यही होता है वाणी का तप जिसके आधार पर एक साधक केवल श्रेष्ठतर आनंद की प्राप्ति ही नहीं करता बल्कि अपने वचनों से किसी निराश अथवा जीवन से हार मान चुके हुए व्यक्ति को फिर से जीवन के प्रति सकरात्मक बनाकर, सम्मान के साथ जीने की प्रेरणा देने जैसा पुण्य कर्म करने से कभी भी पीछे नहीं हटता |
तीसरा और अंतिम तप है ‘मानसिक-तप’ जिसके अंतर्गत आते हैं—मनःशांति, सौम्यत्व, मौन, आत्मसंयम एवं अन्तःकरण की पवित्रता |वस्तुतः,मन की शांति से बढ़कर इस संसार में कुछ है ही नहीं और जब इस दुनिया के साथ हमारा संबंध स्नेह, प्रेम, समझ, ज्ञान, क्षमा और सहिष्णुता जैसे स्वस्थ मूल्यों पर आधारित होता है, तब हमारा मन सदैव एक दिव्य शांति का आभास किया करता है |इसी शांत मन में सौम्यत्व का निवास होता है अर्थात् बिना मानसिक-शांति के मानव प्राणिमात्र के प्रति प्रेम और कल्याण की भावना की अनुभूति नहीं कर सकता |यह सौम्यत्व ही तो होता है कि जो मनुष्य को जीवन की बड़ी से बड़ी चुनौती को भी स्वीकारने की हिम्मत दिया करता है एवं इस भावना का शिकार बनने से भी यथासंभव रोका करता है कि लोग ज़बरदस्ती उसे पीड़ित करते हैं |नकारात्मकता से अप्रभावित मन वाला मनुष्य ही अपनी वाणी पर संयम रख पाता है जिसे सही अर्थों में मनःतप के सन्दर्भ में ‘मौन’ की संज्ञा दी जाती है |अब, जब हम विवेक और सजगतापूर्वक अपने आप को वश में रखते हैं तब यही आत्मसंयम हमें उन पवित्र विचारों और भावनाओं का पात्र बनाने लगता है जो हमें अपने उद्देश्यों की पवित्रता बनाये रखने में मदद करती हैं |यह भावसंशुद्धि हमें काफी हद तक इस संसार के प्रलोभनों से बचाती है जिसके कारण हम अपनी क्षमताओं का प्रयोग धैर्यपूर्वक अपने उद्देश की पूर्ति के लिए कर पाते हैं |
  मित्रों, अंततः, मैं यही कहना चाहती हूँ कि  श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित इस तप के आचरण द्वारा हम अपने जीवन में तनाव, चिंता, भय,असंतोष और अशांति से काफ़ी हद तक बचने के साथ-साथ,अप्रत्यक्ष रूप से बिना अपने कर्मों के लिए दूसरों पर दोषारोपण किए, प्रसन्नचित रहकर वर्तमान में जीने की कला में भी प्रवीण होने लगते है और इस तरह मनुष्य होने की तृप्ति का आभास ही हमारे चिंतन का केद्र बन जाता है |

 

दीवाली पर निबंध

दीवाली पर निबंध

मित्रों,हम सभी भली-भांति जानते हैं कि त्यौहार मानव-जीवन का एक अभिन्न अंग हैं ,तभी तो विश्व का कोई ऐसा देश हीं जहाँ कोई त्यौहार न मनाया जाता हो |हमारे देश भारत में तो त्योहारों की भरमार है और हो भी क्यों न ? त्योहार ही तो हैं जो आंतरिक एवं बाह्य दोनों तरह की शुद्धि सहज ही करवा देतें हैं, प्रेम का संदेश प्रसारित करते हैं तथा मन की शान्ति को पुनःस्थापित कर कर्मशीलता को सक्रिय किया करते हैं |यहाँ तक कि “विश्व-बन्धुत्त्व” की नींव को मजबूत करने में भी त्योहारों का योगदान अत्यंत उल्लेखनीय है |
वस्तुतः,हमारे देश में कई तरह के त्यौहार मनाये जाते हैं –कुछ “धार्मिक” जैसे- मकर-संक्रान्ति, शिव-रात्रि ,होली, राम-नवमी, गुरु-पूर्णिमा, रक्षाबंधन , कृष्ण जन्माष्टमी, ईद, गणेशोत्सव, नवरात्र, दशहरा ,करवा-चौथ, छठ पूजा, दीपावली, गोवर्धन-पूजा , गुरु नानक जयंती, क्रिसमस या बड़ादिन |कुछ राष्ट्रीय-त्यौहार अर्थात् जिन्हें सम्पूर्ण राष्ट्र मिलकर मनाता है; जैसे – गणतंत्र-दिवस, स्वतन्त्रता-दिवस ,दो अक्टूबर अर्थात् महात्मा गाँधी जी एवं भारतीयों को “जय जवान जय किसान” का नारा देने वाले हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म-दिवस, डा.अम्बेडकर जयंती, सरदार पटेल जयंती और बाल-दिवस | 
मित्रों, कुछ ही दिनों बाद हम भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक “दीपावली” मनाएंगे। ईश्वर की कृपा से आप सबके लिए यह पर्व मंगलमय हो!

दीपावली पर निबंध


दीपावली मनाते समय हमारा हृदय निर्मल, मन प्रसन्न, चित्त शांत, शरीर स्वस्थ एवं अहंकार…‘शून्य’ हो –ऐसी ही अनुनय विनय है भगवान् श्री राम के चरण-कमलों में | इस पावन-पर्व को मनाने के पीछे एक अत्यंत गौरवमय इतिहास है |कहते हैं कि त्रेता युग में अयोध्या के राजा; राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र जिन्हें संसार “मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ” के नाम से जानता है,जब पिता की वचन-पूर्ति के लिए चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपनी पत्नी सीता जी एवं अनुज लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे तो नगर वासियों ने उनके स्वागत के लिए, अपनी खुशी प्रदर्शित करने के लिए तथा अमावस्या की रात्रि को भी उजाले से भरने के लिए घी के दीपक जलाये थे |
इसके अतिरिक्त, वनवास के मध्य ही लंका का राजा रावण श्री राम की भार्या सीता जी का हरण करके उन्हें लंका ले गया था और तब हनुमान, अंगद, सुग्रीव,जामवंत एवं विशाल वानर सेना के सहयोग से समुद्र पर सेतु-निर्माण कर ,लंका पर आक्रमण करके उन्होंने रावण जैसे आततायी का वध कर धर्म की स्थापना की थी तथा सम्पूर्ण मानव जाति को यह संदेश दिया कि
आतंक चाहे कितना भी सिर उठाने की कोशिश करे तो भी उसका अंत निश्चित है|” और “बुराई पर अच्छाई सदा भारी हुआ करती है|
इस स्मृति में हर वर्ष दशहरा मनाया जाता है जो “विजय दशमी” के नाम से भी विख्यात है और दशहरे के लगभग बीस दिन बाद ही दीपावली आती है | 

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दीपावली पर निबंध

Hindi Essay on Diwali दिवाली पर निबंध
शुभ दीपावली

इसके अतिरिक्त, वनवास के मध्य ही लंका का राजा रावण श्री राम की भार्या सीता जी का हरण करके उन्हें लंका ले गया था और तब हनुमान, अंगद, सुग्रीव,जामवंत एवं विशाल वानर सेना के सहयोग से समुद्र पर सेतु-निर्माण कर ,लंका पर आक्रमण करके उन्होंने रावण जैसे आततायी का वध कर धर्म की स्थापना की थी तथा सम्पूर्ण मानव जाति को यह संदेश दिया कि-
आतंक चाहे कितना भी सिर उठाने की कोशिश करे तो भी उसका अंत निश्चित है|” और “बुराई पर अच्छाई सदा भारी हुआ करती है|
इस स्मृति में हर वर्ष दशहरा मनाया जाता है जो “विजय दशमी” के नाम से भी विख्यात है और दशहरे के लगभग बीस दिन बाद ही दीपावली आती है | इस पावन इतिहास के अतिरिक्त जैन धर्म के अनुयायिओं का मत है कि दीपावली के ही दिन महावीर स्वामी जी को निर्वाण मिला था |सिक्ख धर्म को मनानेवाले कहते हैं कि इसी दिन उनके छठे गुरु श्री हर गोविन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था |
दीपावली की रात में “काली पूजन” भी किया जाता है तथा इस रात को “महानिशा” भी कहा जाता है |लगभग आधी रात के समय कई लोग किसी भी एक मन्त्र का एक अथवा आधे घंटे तक निरंतर जाप करते हैं जिसे अत्यंत पुण्यकारी माना गया है | दीपावली-पूजन के साथ ही व्यापारी नये बही-खाते प्रारम्भ करते हैं और अपनी दुकानों, फैक्ट्री ,दफ़्तर आदि में भी लक्ष्मी-पूजन का आयोजन करते हैं |खूब मिठाइयाँ बांटते हैं | एक बात अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि दीपावली पर एक दीये से ही दूसरा दीया जलाया जाता है और यह संदेश स्वतः ही प्रसारित हो जाता है कि-
जोत से जोत जलाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो|
 भले ही यह त्यौहार पूरे भारत में बेहद भव्य रूप से मनाया जाता है फिर भी गुजरात में दीपावली की छटा निराली ही होती है | दीपावली से चार दिन पहले; एकादशी से प्रारम्भ करके, दीपावली के दो दिन बाद तक यानि कि भाई-दूज तक दीपावली की रोशनी से हर घर ,गली,चौराहा जगमगाते रहते हैं | पकवान तो इतने बनाये जाते हैं कि जैसे माँ अन्नपूर्णा ने अपने भंडार ही खोल दिए हों |

रंग-बिरंगी ‘रंगोली’ हर द्वार की शोभा में चार चाँद लगाती है | फूलों, आम के अथवा अशोक वृक्ष के पत्तों से बने तोरणों से घरों के मुख्य द्वार सजाये जाते हैं | पटाखों की भी काफी भरमार होती है | दीपावली से अगला दिन “नव वर्ष” के रूप में मनाया जाता है ,सब एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं 
अन्ततः, मैं यही कहना  हैं --हम दीपावली का परम-पावन त्यौहार खूब उत्साह से मनाकर अपनी संस्कृति को बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं लेकिन ऐसे सुंदर अवसरों पर यह चर्चा करना अक्सर भूल जाया करते हैं कि कैसे भगवान् श्री राम ने अपने जीवन में संघर्षों का बहादुरी से सामना किया और सत्य एवं धर्म के मार्ग पर चलने के लिए जीवन के सब सुखों को दाँव पर लगा दिया | सच मानिये त्यौहार के माध्यम से यदि हम आपसी वैमनस्य को छोड़कर, अपने जीवन में एक भी दिव्य गुण को विकसित कर ; उसे निरंतर पोषित करते रहने का उत्साह बनाये रख सकें, तभी हम सच्चे अर्थों में त्यौहार मनाते हैं |


 

Friday, October 21, 2016

जानते हैं मरने के बाद शरीर कैसे काम करता है


जानते हैं मरने के बाद शरीर कैसे काम करता है


आज तक मौत के बाद का रहस्य कोई नही जान पाया। दिल की धड़कन रुकने के बाद इंसान की शरीर के साथ क्या होता है? आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मौत के बाद मृत शरीर में आने वाले 8 बदलाव के बारे में। जिन्हें जानकर आप हैरान हो जाएगे...

मरने के बाद बदलने लगता है शरीर का रंग

मरने के बाद मृत शरीर का रंग बदलने लगता है। और खून के रुकने के कारण शरीर का रंग नीला पड़ने लगता है और हीमोग्लोबिन का लेवल कम होने कारण शरीर का रंग पीला पड़ने लगता है।

शव की महक कीड़े और मक्खियों को आकर्षित करती है

फंगस और बैक्टीरिया के अलवा कई तरह के जीव जैसे- मक्खियाँ और चीटीं शरीर से निकलने वाली स्मेल से अट्रेक्ट होकर उसकी तरफ खिंची चली आती है।

बर्फ में शरीर कम सड़ने लगता है

इको-जोन्स में रखे जाने वाली मृत शरीर में सड़ने वाले बैक्टीरिया का ज्यादा असर नही पड़ता है। इसमे शरीर नैचुरली ममी में बदल जाती है। ऐसे कई मामले देखने को मिले है जो मृत शरीर बर्फ या नमक के रेगिस्तान में मिले थे उन शरीर को कुछ ज्यादा नुकसान नही पंहुचा था।

मरने के बाद आँख और जीभ बाहर आ जाती है

आपने सुना तो होगा ही कि मौत के बाद शरीर से आँखे बाहर निकल जाती है। मरने के बाद शरीर की इन्टेस्टाइन्स में बनने वाली गैस और अंदर सड़ रहे अंग के कारण ऐसा होता है। जीभ भी सूजन की वजह से मुहं से बाहर निकल जाती है।

कोफिन बर्थ प्रक्रिया क्या होती है

यह प्रक्रिया "कोफिन बर्थ" के नाम जानी जाती है। इसमें प्रेंगेंट महिला के मरने के बाद उसकी मृत शरीर अपने आप बच्चे की डिलीवरी करवाती है। शरीर में बनने वाली गैस बच्चे को माँ के पेट से बाहर की तरफ धकेलती है। दुनिया में कोफिन बर्थ के मामले बहुत कम देखने को मिले है। ज्यादतर इन मामलों में बच्चों की मौत हो जाती है 2007 में इंडिया में एक महिला ने मौत के बाद जिन्दा बच्चे को जन्म दिया है। लेकिन जन्म के बाद बच्चा महिला की मृत शरीर से जुड़ा हुआ था।

पोस्टमॉर्टम करने के बाद मृत शरीर ऐसा हो जाता है

कई बार तो पोस्टमॉर्टम के दौरान मृत शरीर से आवाज भी निकलती है। मौत के बाद शरीर के अंदर मौजूद बैक्टीरिया गैस बनाते हैं जिसकी वजह से शरीर के वोकल मसल्स में खिंचाव आता है। इसी के कारण मृत शरीर से कराहने और चीखने की आवाजे आने लगती है।

मृत शरीर क्यों सुख जाता है

अगर मृत शरीर को ढंका ना जाए और न उसके ऊपर कपड़े हो तो इस हालत में मृत शरीर सुखकर सख्त हो जाती है।

मौत के बाद त्वचा ढीली क्यों पड़ जाती है

एक समय ऐसा आता है जब शरीर की त्वचा ढीली पड़ जाती हैं त्वचा, मांसपेशिया हड्डी से बिल्कुल अलग हो जाती है ऐसा जब होता है जब शरीर के अंदर गैस बनना बंद हो जाती है।

बहुत ज्यादा इस्तेमाल आने वाले इन शब्दों का fullform जानतें हैं आप


बहुत ज्यादा इस्तेमाल आने वाले इन शब्दों का fullform जानतें हैं आप


short शब्दों का चलन इतना हो गया है की लोगो को ये भी नहीं पता होता कि इनके fullform भी हो सकते हैं कुछ शब्द तो ऐसे हैं जिनको हम इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन उनका fullform हमें नहीं पता होता और न ही हमने कभी सोचा की इनका fullform भी हो सकता है देखिए ये हैं वो शब्द आपको कितना पता है

ZIP Code: "Zone Improvement Plan" Code (ज़ोन इम्प्रूवमेंट प्लान कोड)

GPS: Global Positioning System (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम)


AM: Anti Meridiem (एंटी मेरिडियम)


PM: Post Meridiem (पोस्ट मेरिडियम) 



ATM: Automated Teller Machine (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) 



CTC: Cost To Company (कॉस्ट टू कंपनी) 



USB: Universal Serial Bus (यूनिवर्सल सीरियल बस) 



VIRUS: Vital Information Resources Under Seize (वाइटल इंफॉर्मेशन रिसोर्सस अंडर सेज) 



GOOGLE: Global Organization Of Oriented Group Language of Earth (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ ओरिएंटेड ग्रुप लैंग्वेज ऑफ़ अर्थ) 



YAHOO: Yet Another Hierarchical Officious Oracle (यट अनेदर हिरार्चीकैल ओफ्फिसियस ओरेकल)


GPRS: General Packet Radio Service (जनरल पैकेट रेडियो सर्विस)


SIM : Subscriber Identity Module (सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल)

MMS: Multimedia Messaging Service (मल्टीमीडिया मैसेजिंग सर्विस)

SMS: Short Message Service (शॉर्ट मैसेज सर्विस)


WI-FI: Wireless Fidelity (वायरलेस फिडेलिटी)


GSM: Global System for Mobile Communication (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनिकेशन)

CDMA: Code Division Multiple Access. (कोड डिविज़न मल्टिपल एक्सेस)

JPEG: Joint Photographic Expert Group (ज्वाइंट फ़ोटोग्राफिक एक्सपर्ट ग्रुप)


PDF: Portable Document Format (पोर्टेबल डॉक्यूमेंट फॉर्मेट) 


LMAO: Laughing My ASS Off (लाफिंग माई ऐश ऑफ)


LOL: Laughing Out Loud (लाफिंग आउट लाउड)

OK: Oll Korrect ( ऑल कोर्रेक्ट)

PNR: Passenger Name Record (पेसिंजर नेम रिकॉर्ड)

LCD: Liquid Crystal Display (लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले)

IFSC: Indian Financial System Code (इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम कोड)

TRP: Television Rating Point (टेलिविजन रेटिंग प्वाइंट)

LED: Light Emitting Diode (लाइट एमिटिंग डायोड)

UFO- Unidentifiable Flying Object ( अन आईडेंटिफाइेबल फ्लाइंग ऑब्जेक्ट)

Thursday, October 20, 2016

इनकी है दुनिया में सबसे सुन्दर हैंडराइटिंग


इनकी है दुनिया में सबसे सुन्दर हैंडराइटिंग


आपने भी बहुत कोशिश की होगी की अच्छा लिखे लेकिन नहीं लिख पाए, बहुत से ऐसे लोग हैं जो अच्छा लिखने की कोशिश तो करते हैं लेकिन कामयाब नहीं हो पाते स्कूल के दिनों में तो हमारी टीचर्स भी हमसे बहुत परेशान रहती थी हम लिखते ही इतना गन्दा थे अक्सर हमारी नोटबुक में टीचर्स लिखती थी लेख सुधारों या improve your handwriting लाख कोशिशों के बाद भी हैंडराइटिंग नहीं सुधरी लेकिन आठवीं क्लास की प्रकृति मल्ला की हैंडराइटिंग ऐसी है की कोई विश्वास नहीं कर रहा है देखने में बिलकुल कंप्यूटर पर टाइप की हुई लगती है इसे दुनिया की सबसे सुन्दर हैंडराइटिंग माना जा रहा है


 प्रकृति मल्ला नेपाल की रहने वाली हैं और आठवीं में पढ़ती हैं

प्रकृति सैनिक आवासीय महाविद्यालय में आठवीं क्लास में पढ़ती हैं 

इनकी लखावट ने इन्हें मशहूर कर दिया है ऐसा माना जा रहा है की इनकी हैंडराइटिंग पूरी दुनिया में सबसे खूबसूरत है पहली बार देखने में इनकी हैंडराइटिंग डिज़ाइनर कंप्यूटर फॉन्ट जैसी लगती है

ये अजीब नाम वाले स्टेशन भारत में ही है


ये अजीब नाम वाले स्टेशन भारत में ही है

भारत में कुल 8000 रेलवे स्टेशन हैं मगर कुछ स्टेशन के नाम तो इतने मजेदार है की आप हस्ते हस्ते लोट पोट हो जाओगे वहीँ कुछ ऐसे भी हैं की  आप उनका  नाम भी सही से ना ले पाओ

1.डिवैन नगर

डिवैन नगर स्टेशन तृश्शूर, केरल का स्टेशन  है 0yk7awk1sbhbpi0pgyq2

2.उदगमंडलम

उदगमंडलम रेलवे स्टेशन ऊटी, तमिलनाडू राज्य में है 02vxqvk1yi9wsno61x3h

3.लोट्टेगोल्लहल्लि

इसे तो एक बार में पढना भी मुश्किल है लोट्टेगोल्लहल्लि रेलवे स्टेशन बंगलौर, कर्नाटक में है 4bsv5po0mo9t20htyl7o

4.टुंग

इसका नाम तो छोटा है लेकिन अजीब भी है टुंग रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र राज्य में है 5654v1vpvnonsynt787q

5. काला बकरा

ये स्टेशन का नाम है अब हंसना मत कम से कम आप इसे पढ़ और याद तो  रख सकते हो, ये जालंधर, पंजाब में है c9t318s8flkhl3bueuw0

6.वेंकटनरसिम्हराजुवारिपेटा

इसे अगर पढना मुश्किल हो तो ऐसे पढ़िए वेँकट-नरसिंह-राजु-वारि-पेट, सोचिये अगर ट्रेन में किसी ने आपसे पूछ लिया कौन सा स्टेशन है तो आप क्या कहेंगे यह चित्तोड, आंध्रप्रदेश में है cavgl5potvfieg9bw5lk

7.कलट्टर बक गंज

यह अजीब स्टेशन बरेली, उत्तर प्रदेश में है hadna2bmne7c657zoesm

8. दीघा

यह स्टेशन पश्चिम बंगाल में है iwy1rteglhxk7re6c6w8

9. ईब

नाम से तो इसको हरयाणा राज्य में होना चाहिए पर यह ओडिशा में है jgo06kl65f9pg6j8a4fk

10.चिंचपोकली

ये कोई छिपकली का नाम नहीं है यह मुम्बई का रेलवे स्टेशन है nqrhi3ym6krshd3j32y4

11.सिंगापुर रोड

नाम पर मत जाना यह ओडिशा भारत में ही है p1qckylsnqfljkggwkr6